राष्ट्रीय एकता का महान पर्व गंगासागर मेला साजिस का शिकार --!

        

         सब तीर्थ बार-बार गंगा सागर एक बार 

यह वास्तव मे कोई कहावत नहीं वास्तविकता है  भारत वर्ष का अध्यात्म भारतीय समाज मे इतना गहरा चुका है की विधर्मी यानि परकीय धर्म के जानने वाले इसे समझ नहीं सकते ! जब हम भारतीय अध्यात्म की बात करते हैं तो हिन्दुत्व स्वाभाविक ही आ जाता है और जब हम हिन्दुत्व की बात करते हैं तो वहाँ भारतीय धर्म यानि सनातन धर्म और इसे हम भारत भक्ति-देश भक्ति कह सकते हैं भारतीय समाज यानी हिन्दू समाज का स्पंदन धर्म ही है कहते हैं भारतियों को कुछ भी कहो वह सह लेगा लेकिन यदि उसके धर्म को अपने छेड़ा तो उसकी सहनशीलता समाप्त हो जाती है! संघर्ष (इस्लामिक) काल मे जिसने धर्म को छेड़ा उन्हे समाप्त होना पड़ा अंग्रेजों ने धर्म को छेड़ा उन्हे जाना पड़ा। ऐसा क्यों होता है इसे समझने की आवस्यकता है देश भक्ति और धर्म को बाटा नहीं जा सकता दोनों एक दूसरे का पर्याय है ।

गंगासागर का मेला--!

इसी कारण जब-जब इस्लामिक हमले अथवा अंगर्जों के हमले हुए धर्म ने ही हमे और हमारे देश को बचाया इसीलिए कहा जाता है कि "जब हम धर्म की रक्षा करेगे तो धर्म अपने-आप धर्म हमारी रक्षा करेगा" हम सभी जानते हैं । भारत की सभी नदियाँ गंगाजी मे मिलती हैं, जहाँ गंगाजी समुद्र मे मिलती हैं वह भाग गंगासागर कहलाता है। कहते हैं कि कपिल मुनि का आश्रम वहीं था "राजा सगर" के दस हज़ार पुत्रों को कपिल मुनि ने शाप देकर यहीं भस्म कर दिया था। 'राजा भागीरथ' ने अपने पुरखों के मुक्ति हेतु "गंगाजी" को स्वर्ग से धरती पर लाये। आज पूरा भारत नहीं तो कम से कम उत्तर भारत का भरण पोंषण इसी को हम मुक्ति कह सकते हैं इसी कारण इस नदी को भारत मे माता का स्थान सबसे पवित्र मोक्षदायनी यहाँ तक सभी हिन्दू यह चाहते हैं कि जब मेरी मृत्यु हो तो कम से कम मेरी अस्थि गंगाजी मे डाला जाय। आप यह समझ सकते हैं जब गंगाजी का इतना महत्व है तो गंगासागर का कितना महत्व होगा इसी कारण हजारों लाखों वर्ष पहले जब भगवान भास्कर दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं दो ऋतुओं का मिलन उसी मकर संक्रांति के दिन यह गंगासागर का प्रमुख स्नान होता है। यह राष्ट्रीय एकता, समरसता, प्रेम व अध्यात्म का मेला लगाना शुरू हुआ जहाँ सारे विश्व का हिन्दू अपने जीवन मे कम से कम एक बार यहाँ आना चाहता है ।

राष्ट्रीय एकता का महत्व--!

भारतीय धर्म का स्पंदन ही भारतीय राष्ट्र की आत्मा है, जब अंग्रेजों ने बंगाल को बाटने का षड्यंत्र किया तो जिस प्रकार लोकमान्य तिलक जी ने "गणेश उत्सव" को सार्वजनिक कर देश आज़ादी का मंच बना दिया, बिपिन चन्द्पाल ने "दुर्गा पूजा" को सार्वजनिक कर स्वतन्त्रता आंदोलन को धार दिया उसी प्रकार रवीद्र नाथ टैगोर ने बंग- भंग आंदोलन को धार देने हेतु 1904 मे गंगासागर मेले को आंदोलन का मुख्य सेंटर बनाया। और वे सफल हुए इसी कारण जब भारतीय धर्म व अध्यात्म की बात होगी तो देश और धर्म को बाटा नहीं जा सकता। आज इस महान राष्ट्रीय पर्व मेला "गंगासागर" को कुछ सेकुलर ताकते कहीं न कहीं समाप्त करने की सजिस कर रही है। उन्हे यह समझ मे नहीं आ रहा है कि भारत की एकता अखंडता मे अध्यात्म, तीर्थ, त्योहार और मेलों की महत्वपूर्ण भूमिका है। भारत मे चार स्थानों पर कुम्भ, सभी महापुरुषों के जन्म स्थानों पर मेला लगभग सभी नदियों मे स्नान यह हमारी परंपरा ही नहीं है बाकी राष्ट्रीय एकता के स्तम्भ है।

षड्यंत्र---!

हिन्दू समाज बहुत सीधा सादा है वह सामने वाले को समझ नहीं पाता। उसे लगता है कि हम जैसे हैं सामने वाला वैसे ही है असलियत कुछ और ही है प्रत्येक मुसलमान का इस्लामिक कर्तब्य है कि सारे विश्व का इस्लामीकरण करना इसी साजिस के कारण मौलाना आज़ाद भारत मे रह गए थे। वे 'जमायाते इस्लामी हिन्द' के अध्यक्ष थे जिसका उद्देश्य है कि सम्पूर्ण भारत का इस्लामिकरण करना यही वह स्थान है जहां हिन्दू फेल हो जाता है। उसकी उदारता ही उसकी मुसीबत बन जाती है। मैंने एक पुस्तक पढ़ी है उस पुस्तक का लेखक एक बंगाल कैडर के आईपीएस है जिसमे वे लिखते हैं ममता चटर्जी का निकाह हुआ है। उसने कलमा पढ़ा है इस कारण वह हिन्दू हितैसी कैसे हो सकती है। आज प बंगाल मे 30% मुसलमान हो गया है जिसमे 50% से अधिक बंगलादेशी घुष्पैठिए हैं। आईएसआई वहाँ फल -फूल रही है आए दिन हिंदुओं पर हमले होते हैं मंदिरों का तोड़-फोड़ करना, हिन्दू बहन बेटियों के साथ बलात्कार, बलात धर्मांतरण आम बात है। धीरे-धीरे हिन्दू पलायन करना शुरू कर दिया है, भविष्य मे यह प्रांत कश्मीर और फिर इस्लामिक देश की मांग की तरफ बढ़ रहा है। प बंगाल का मुर्सीदाबाद जिला जहां के राशन कार्ड, आधार कार्ड व नागरिकता प्रमाण पत्र के आधार पर करोणों बंगलादेशी पूरे भारत मे भरे पड़े है इसकी जांच क्यों नहीं हो रही ?

स्थित कैसी है---?

गंगासागर का मेला दक्षिण परगना जिला मे लगता है जिसकी मुस्लिम जनसंख्या 70% हो गयी है गंगासागर 'काक द्वीप' मे स्थित है जो कोलकता से 80 किमी दूरी पर है "केचु बैरिया" जो मूल मेले का स्थान है सारे द्वीप मे मुस्लिम आवादी ही है कोई भी सेवा कार्य के लिए स्थान पाना संभव नहीं है। मेले मे आई हुई महिलाओं से छेड़-छाड़ आम बात है। कोई रोक -टॉक नहीं यदि आप किसी पुलिस अथवा पुलिस अधिकारी से सिकायत करते हैं तो उसका उत्तर होता है कि यहाँ क्यों आए हो ? कलकत्ता के ब्यापारी केवल कलकत्ता मे सेवा देते हैं क्योंकि उनके सुरक्षा कि कोई ब्यवस्था नहीं है, इस वर्ष तो हद पार गया था। गंगासागर मे जाने वाली कोई भी महिला इस्लामी गुंडों से सुरक्षित बच नहीं सकी कि जिसका कोई न कोई जेवर -सामान छीन न लिया हो -! लगता ही नहीं था कि यह तीर्थ भारत मे है मुस्लिम लुटेरों, गुंडों से भरा मेला जैसे ये गुंडे ही मेले के मालिक हों, कोई शिकायत नहीं उन्हे तो जान बचाकर आना था ? जो लोग लौट कर आए हैं अब दुबारा जाने का नाम नहीं और सामने वाले को मना करना अब गंगासागर जाने लायक नहीं रह गया क्योंकि यह तीर्थ अब इस्लामिक गुंडों के हवाले है। बंगाल का शासन -प्रशासन बड़ी ही योजना पुर्बक हिंदुओं के सारे के सारे पर्व, मेला व त्योहार बंद कराने की योजना मे है। जिन महापुरुषों ने इन सारे राष्ट्रीय पर्वों को प्रारम्भ कर राष्ट्रीय एकता को मजबूत किया था उन महापुरुषों के मंसूबों पर ममता सरकार पानी फेरने का काम कर रही है और राष्ट्र बिरोधी कृत्यों मे ब्यस्त है । 
          एक ही उपाय है कि जितने हिन्दू संगठन है, मठ मंदिर है, जितने बड़े धार्मिक मेले हैं उनके सुरक्षा ब्यवस्था भारत सरकार स्वयं करे अब हिन्दुओ के सामने कोई बिकल्प नहीं है, बंगाल सरकार से हिन्दू समाज का भरोसा उठ सा गया है सीधे बंगाल "ग्रेटर बांगलादेश" की तरफ बढ़ रहा है कहीं हम लेट न हो जाय कि गाड़ी छूट जाय ------!!        

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